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Drive to Kargil from Manali via Shinku La Pass, Zanskar– A Road Trip Like No Other! देशभक्ति का सफर!
Zanskar से Kargil – एक ऐसा सफर जो सिर्फ दूरी नहीं, दिल भी तय करता है।
Watch First Part
Watch Second Part
इस वीडियो में हम निकलते हैं गोंबो रांगजोन से, Tsarap नदी के किनारे-किनारे, Vardhan Monastery के पास से होते हुए…
Zanskar की कच्ची, खतरनाक, लेकिन बेहद खूबसूरत सड़कों से होते हुए पहुँचते हैं Kargil – उस धरती पर जहाँ देशभक्ति हर पत्थर में बसी है।
"नमस्कार दोस्तों! आज हम आपको ले चल रहे हैं भारत की वीर भूमि – कारगिल और द्रास की तरफ। वो जगह जहां हमारे जवानों ने 1999 में दुश्मन को धूल चटाई थी।"
आज हम एक ऐसी यात्रा पर निकले हैं, जहाँ प्रकृति की सुंदरता, इतिहास की गूंज और संस्कृति की गहराई – सब एक साथ मिलते हैं।हमारी शुरुआत हो रही है मनाली से – हिमाचल की रानी, बर्फ़ीले पहाड़ों और घुमावदार रास्तों की धरती से।"
"मनाली से निकलते ही हम लेह-लद्दाख हाईवे पर हैं, और अगले पड़ाव पर पहुंचेंगे जिस्पा – एक छोटा लेकिन खूबसूरत गाँव, जो ट्रेकर्स और बाइकरों का पसंदीदा स्टॉप है।"
"मनाली से होते हुए हम पार कर रहे हैं अटल टनल, फिर केलॉन्ग और जिस्पा – जहाँ हर मोड़ पर पहाड़ों की नई कहानी मिलती है।"
"और अब हम उस मोड़ पर आ गए हैं जहाँ ज्यादातर लोग लेह की ओर बढ़ते हैं – लेकिन हम ले रहे हैं एक अलग और कम देखे गए रास्ते की ओर – दारचा से दाह, यानी सीधे आर्यन वैली की तरफ।"
"यह रास्ता बहुत ही खास है – ना ज़्यादा ट्रैफिक, ना शोर… बस पहाड़ों की खामोशी और नदी की आवाज़।हम बढ़ रहे हैं उस घाटी की ओर, जहाँ रहते हैं भारत के सबसे अनोखे लोग – आर्यन जनजाति।"
"ये है आर्यन वैली – भारत के कुछ गिने-चुने गांव, जैसे ढा और हनु, जहाँ के लोग खुद को शुद्ध आर्यवंशी मानते हैं।इनकी भाषा, पहनावा और संस्कृति लद्दाख के बाकी हिस्सों से बिलकुल अलग है।"
आर्यन वैली लद्दाख के दाह (Dah), हनु (Hanu), डाचिक (Dakchik), गोर्कॉन और बेमा जैसे गाँवों का समूह है।
यह क्षेत्र लेह से ~160 किमी और कारगिल से ~65 किमी की दूरी पर स्थित है।
यह घाटी इंदस नदी के किनारे स्थित है, जो इन गांवों को जीवन देती है।
यह समुदाय खुद को "शुद्ध आर्य" मानता है, जो हजारों साल पहले दर्दिक जनजातियों (Dardic tribes) से संबंधित हैं।
ऐसा माना जाता है कि ये लोग मूल रूप से गिलगित-बाल्टिस्तान क्षेत्र से आए थे और हिमालय की घाटियों में बस गए।
शारीरिक विशेषताएँ:
• नीली/हरी आंखें 👁️
• तीखी नाक 👃
• गोरा रंग और लंबे बाल
• यह समुदाय देखने में यूरोपियन या सेंट्रल एशियन मिश्रण जैसा लगता है।
संस्कृति और परंपराएँ:
🌸 पहनावा और आभूषण:
• महिलाएँ फूलों से सजाए गए हेडड्रेस पहनती हैं, जिसे "लोन्चे" कहा जाता है।
• पारंपरिक पोशाक और भारी चांदी के गहनों से इनका पहनावा एकदम अलग दिखता है।
🔥 त्योहार और रिवाज:
• बोन (Bon) और बौद्ध धर्म का मिश्रण इनकी मान्यताओं में दिखता है।
• चांग (स्थानीय जौ की शराब) इनकी संस्कृति में एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
• शादियाँ, मृत्यु संस्कार और कृषि पर्व प्राचीन रीतियों के अनुसार मनाए जाते हैं।
• डाचिक, आर्यन वैली का एक महत्वपूर्ण गाँव है, जहाँ ब्रोकपा समुदाय की सबसे अच्छी झलक मिलती है।
• यह गाँव कारगिल जिले में पड़ता है और दाह के नज़दीक स्थित है।
• यहाँ की महिलाएँ पारंपरिक फूलों से सजे मुकुट और चांदी के जेवर पहनती हैं, जो उन्हें पूरे भारत से अलग बनाते हैं।
विशेषता और पर्यटन:
✔️ क्यों जाएँ?
• एकदम अलग संस्कृति, बाकी लद्दाख से अलग अनुभव
• फोटोग्राफी, डॉक्यूमेंट्री, लोकसंस्कृति के लिए बेहतरीन
• भीड़ से दूर, अथॉरेंटिक ट्राइबल एक्सपीरियंस
❗ ध्यान देने योग्य:
• इन गांवों में सीमित होटेल और होमस्टे हैं।
• कुछ क्षेत्रों में मोबाइल नेटवर्क कमज़ोर होता है।
• यहां जाने के लिए कभी-कभी इनर लाइन परमिट की आवश्यकता होती है।
• बटालिक (Batalik) एक अत्यंत रणनीतिक, ऐतिहासिक और कम चर्चित लेकिन महत्वपूर्ण स्थान है, खासकर कारगिल युद्ध (1999) के संदर्भ में।
कारगिल युद्ध (1999) में भूमिका:
• बटालिक सेक्टर, कारगिल युद्ध के तीन मुख्य युद्ध क्षेत्रों में से एक था:
o टोलोलिंग सेक्टर (द्रास)
o टाइगर हिल सेक्टर (द्रास/मश्कोह)
o बटालिक सेक्टर (बटालिक–दाह)
• पाकिस्तान ने बटालिक रेंज की ऊँचाईयों पर कब्जा करने की कोशिश की, ताकि लद्दाख की तरफ आने-जाने के रास्ते को बाधित किया जा सके।
• यहाँ पर भीषण लड़ाई लड़ी गई थी, खासकर नुब्रा स्काउट्स, लद्दाख स्काउट्स, और इंडियन आर्मी की 1/11 गोरखा राइफल्स जैसे बहादुर रेजिमेंट्स ने पाकिस्तानी घुसपैठियों को पीछे खदेड़ा।
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• यह कारगिल से ~55 किमी और द्रास से ~100 किमी की दूरी पर है।
• यह क्षेत्र इंदस नदी के किनारे स्थित है और पास में ही एलओसी (LOC – Line of Control) है।
• यहाँ से आर्यन वैली के दाह और हनु गाँव भी नज़दीक हैं।
"अब हम बढ़ रहे हैं कारगिल की ओर – ये रास्ता कठिन है, लेकिन बहुत कम लोग इस रूट से यहाँ पहुँचते हैं।हर मोड़ पर सेना की पोस्ट और पहाड़ों पर झंडा लहरा रहा है – दिल गर्व से भर उठता है।"
"अब हम पहुँच चुके हैं द्रास – भारत की वीर भूमि।
द्रास, लद्दाख के कारगिल जिले में स्थित एक कस्बा है।
यह कारगिल से लगभग 60 किमी दूर और श्रीनगर-लेह हाईवे (NH1) पर स्थित है।
समुद्र तल से ऊँचाई: लगभग 3,300 मीटर (10,800 फीट)
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